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याद रखना होगा जनता सिर्फ दल से नाराज़ नहीं है दल के सदस्यों से भी नाराज है ,जिन्होंने सत्ता सुख की खातिर अपने कर्तव्यों का निर्वाहन सही ढंग से नहीं किया |इस पतन के मूल में जाति और धर्म वादी राजनीति है हमको इसे बदलना होगा |राजनीति का मतलब सिर्फ सत्ता नहीं हो सकता संघर्ष को भी सम्मान मिलना चाहिए |
जय प्रकाश नारायण के बाद अन्ना हजारे का प्रयास सफल होता नज़र आया था किन्तु दिल्ली के नाटकीय घटना क्रम और आम आदमी पार्टी के टिकट वितरण ने वो आशा भी धूमिल करदी |अन्ना भी राजनीतिक बन गए |
मतदाता का कर्त्तव्य और भी बढ़ गया है की वो मतदान अवश्य करे और देश को उचित प्रतिनिधित्व दे |देश का प्रतिनिधित्व करने वाला और निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना वाला दोनों ही सशक्त ,इमानदार और कर्त्तव्य परायण होने चाहिए |कमियां सभी दलों और व्यक्तियों में नज़र आरही हैं चुनाव उस व्यक्ति का करिए जिसमे औरों की अपेक्षा कम खामियां हों और जो बेहतर और सशक्त नेतृत्व दे सके |
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